...

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बेवजहा सा
बेवजहा सा चला जा रहा हूं
अब नहीं है कोई होश अपना
बहुत कुछ छूट गया मेरा पीछे
वो मुझे वापस अपनी ओर खींचे
पहले जरा मंजिल को तो छूं लू
फिर देखूंगा वापसी का हसीन सपना

बेवजहा सा खुद को ढोये जा रहा हूं
इस दुनिया के सब बाजारों में
कटते थे जो दिन तेरी बाहों के हारो में
कटते हैं वो अब सूरज के कड़े...