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थोड़ी देर और प्रिय ...
थोड़ी देर और प्रिय ,
तुम्हारी पनाहो से तुम्हारी शिकायत करनी है
तुम्हारे कंधा पे अपने आंसु का भोज रखना है
थोड़ी देर और प्रिय ,
तुम्हारे एहसासो के बाग़बान मे
अपनें इश्क़ की महक एहसास करना है
थोड़ी देर और प्रिय ,
तुम्हारे इश्क़ की धुन में
अपनें मन के सुर महसूस करना है
थोड़ी देर और प्रिय ,
अपनें आप को तुम्हारे इश्क़ में मैह़फूज
महसूस करना है
थोड़ी देर और प्रिय ,
तुम्हारे खामोशी में
अपने लफ़्ज महसूस करना है
वक़्त का तो पता नहीं प्रिय ,
पर साथ कोशिश करना
थाम सको ...
© HeerWrites
तुम्हारी पनाहो से तुम्हारी शिकायत करनी है
तुम्हारे कंधा पे अपने आंसु का भोज रखना है
थोड़ी देर और प्रिय ,
तुम्हारे एहसासो के बाग़बान मे
अपनें इश्क़ की महक एहसास करना है
थोड़ी देर और प्रिय ,
तुम्हारे इश्क़ की धुन में
अपनें मन के सुर महसूस करना है
थोड़ी देर और प्रिय ,
अपनें आप को तुम्हारे इश्क़ में मैह़फूज
महसूस करना है
थोड़ी देर और प्रिय ,
तुम्हारे खामोशी में
अपने लफ़्ज महसूस करना है
वक़्त का तो पता नहीं प्रिय ,
पर साथ कोशिश करना
थाम सको ...
© HeerWrites
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