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अपनी पनाह में रहने दे।
मुझे अपनी पनाह में रहने दें।
अपना दर्द थोडा सा सहने दे ॥
तेरे रूठ जाने से दिल बेचैन है।
तुझे मान लू बस पास तो आने दे ॥
चाहे जितना ओझल हो निगाहो से ।
अधूरे ख्वाबो को पलको पर सजाने दे॥
में मौसम नही जो बदल जाऊ पल में पतझड़ के सूखे पत्तो को बिखर जाने दे।
रास्तों के काँटो से पैर जख्मी ना कर ।
राहों में मुझे थोड़े फूल तो बिछाने दे ॥
तेरे आँखो के अश्क गंगा जल से पाक ।
दामन में मेरे मोतियो को भर जाने दे ॥
अपना दर्द थोडा सा सहने दे ॥
तेरे रूठ जाने से दिल बेचैन है।
तुझे मान लू बस पास तो आने दे ॥
चाहे जितना ओझल हो निगाहो से ।
अधूरे ख्वाबो को पलको पर सजाने दे॥
में मौसम नही जो बदल जाऊ पल में पतझड़ के सूखे पत्तो को बिखर जाने दे।
रास्तों के काँटो से पैर जख्मी ना कर ।
राहों में मुझे थोड़े फूल तो बिछाने दे ॥
तेरे आँखो के अश्क गंगा जल से पाक ।
दामन में मेरे मोतियो को भर जाने दे ॥
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