...

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इश्क मे लिख रहा हू.....
इश्क में तुम्हारे ग़ज़ल लिख रहा हूँ ,
माना साथ नहीं हो तुम
तुम्हारी याद में लिख रहा हूँ ,

मुमकिन नहीं है फिर से गले लगना
फिर भी इश्क को हमारे मुक्कम्मल लिख रहा हूं ,

ढाये इश्क ने कितने सितम हम्पे
फिर भी इश्क को तुम्हारे खूबसूरत लिख रहा हूं ,

साथ बिताये जो लम्हे तुम्हारे
उन्हे में जन्नत-ए-सफ़र लिख रहा हूँ ,

छोड़ गए तुम मुझे ऐसे
जैसे गैरों को मैं बेखबर लिख रहा हूं ,

मुमकिन नहीं अब इश्क दोबारा कर पाऊ
की इश्क को तुम्हारे परवरदिगार लिख रहा हूँ ,

हवाएं नहीं आती इश्क की मेरी गलियों में अब तो
तेरे इश्क को मैं सासे लिख रहा हूं ,

मुश्किल हे जीना बिन तुम्हारे
इश्क को तुम्हारे जावेदा लिख रहा हूँ ,

बचा बस थोड़ा सफर मेरा
इस्लीये एक खत तुम्हारे नाम लिख रहा हूं ,

पता हे सुनकर बुरा लगेगा तुम्हे
पर उसमे अपने जनाजे की खबर लिख रहा हूँ ,

एक वक्त दिल के सबसे करीब थे तुम
इस्लीए सबसे पहले तुम्हें लिख रहा हूँ ।

© pain.in.pain_2211