...

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नसीब

अरसो बाद मिला हू नसीब से ,,मैं उसको खो चुका था करीब से।।
नजरे चांद पे टिकी थी,,माना कुछ जरुरते बड़ी थी।।
हम कितने पास थे ,, जैसे तुम फलक मैं कही दूर से
जैसे अंधेरा कमरे और कमरे मैं हम और तुम थे
ये कुछ...