...

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इक प्रश्न मेरा
मैंने तेरी ओर देखा
दुनियाॅं ने दिवाना कहा
जब तेरी तरफ नजरें ना उठीं
दुनियाॅं ने बेवफा कहा
मैनें तो कुछ सोचा भी नहीं
सबने पागल मुझे कहा
आज कटघरे में खड़ा था
एक अपराध की वजह से
जिससे अज्ञात था कुछ देर पहले तक
हतप्रभ था
सबके चेहरों को देखकर नहीं
तुम्हारे झूठे आरोप से।

ना हीं प्यार था तुझसे
ना हीं कोई नफरत
यह परिणाम फिर क्यूॅं?
यही सोच रहा हूॅं
इक थोपे गए अपराधबोध के साथ।