...

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" मुलल्मा प्यार का "
मुलम्मा प्यार का ऐसा उसने चढ़ाया हुआ है,
कई खूबसुरत कन्यायों को फंसाया हुआ है।
खुद ही चली आतीं फिर फंस के रह जातीं,
जाल कुछ इस तरह पट्ठे ने फैलाया हुआ है।
कई बालाओं को अब तक दे चुका है धोखा,
सफ़लता समझ इसे अपनी इतराया हुआ है।
खोला नहीं किसी बाला ने कच्चा चिट्ठा इसका,
शातिर उस्ताद है फन का खेला...