...

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ग़ज़ल
नये साल में यार कुछ तो नया हो
नई इक ज़मी हो नया रास्ता हो

मिरी याद तुमको ज़रा सी तो आये
नये साल में कोई ऐसी शिफ़ा हो

मिरे ज़ख्म सा पेड़  कोई न होगा
खिज़ायों के मौसम में भी यूँ हरा हो

जिसे मैंने धोखा ही धोखा दिया है
कभी तो वो मुझ से ज़रा सा खफ़ा हो।

नहीं देते साया शज़र जो है ऊँचे
मदद उस से मांगों जो दिल से बड़ा हो

दुबारा करो जो मुहब्बत उसी से
तो नज़दीकियों में भी कुछ फासला हो

पुराने शजर ये बताते है मुझको
जमीं पे ही रहना, कही की हवा हो

मुहब्बत में मेरी असर ऐसा आए
जो सोचूं उसे रूबरू वो खड़ा हो

दुआ जब भी मांगो तो मांगो यही तुम
ऐ मालिक मेरे साथ सबका भला हो

न इंसा की चाहत का छोर कोई
करेले हो मीठे ये शब दूधिया हो


© vishalvaid

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