...

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अब कि पिया इस होली में
अबीर गुलाल न सही
अंग लगा लो पिया मोहे
अब कि पिया इस होली में 🖍

विरह के आतिशबार अंगारों को
मिलन फुहारों से सरशार करो मोहे
अब कि पिया इस होली में 🖍

नहीं भाता अब श्वेत पैरह्रन
सिंदूरी रंग से परिप्लावित करो मोहे
अब कि पिया इस होली में 🖍

नीरवता का सन्नाटा घेरे
प्रेम से गुंजार करो मानस को मोहे
अब कि पिया इस होली में 🖍

अरमानों की झोली खाली
दुल्हा बन ऋतुराज तुम आओ
अब कि पिया इस होली में 🖍
© ऋत्विशा