तन्हाईयों से वाकिफ़
तीरगी कर गया आफताब सुदूर क्षितिज में समाकर।
तन्हाईयों से वाकिफ़ कर गया दिल में आस जगाकर।
दिखता नहीं है कुछ भी...
तन्हाईयों से वाकिफ़ कर गया दिल में आस जगाकर।
दिखता नहीं है कुछ भी...