...

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कुदरत का करिश्मा
कुदरत का कहर भी जरूरी था साहब ,
वरना हर कोई खुद को खुदा समझ रहा था!!

जो कहते थे कि मरने तक की फुरसत नहीं है,
वे आज मरने के डर से फुरसत में बैठे है!!

माटी का संसार है खेल सके तो खेल ,
बाजी रब के हाथ है पूरा विज्ञान फेल !!

मशरूफ थे सारे अपनी जिंदगी की उलझनो में,
जरा -सी जमीन क्या ,खिसकी सबको
ईश्वर याद आ गए अपने!!

सोचा ना था कभी ,ऐसा दिन आएगा
आँख👀 की नींद और दिल💓 का चैन लुट जाएगा।

सोचा ना था कभी ,छुट्टियाँ मिलेंगी पर मना नहीं पाएँगे!!!

जो दूर हैं,उन्हें पास बुला 🙋नहीं पाएँगे।
जो पास हैं,उनसे हाथ मिला 🤝🤝नहीं पाएँगे।

आईस-क्रिम 🍧🍦तो बिकेंगी ,पर खा नहीं पाएँगे।
ऐसा भी वक्त⏲️ आएगा की पता नहीं था।
इंसान डरेगा ,इंसान से पता नहीं था।.............

© SUHANI