...

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बारिश

बारिश भी कोने से गुज़रती है
मन के हर मयखाने से गुज़रती है
यादो को सहेजते सहलाते
मेरे अंदर के तहखाने से गुज़रती है
कितना भी झुठलाएँ पतझड की शाख को,
कटे हुए हिस्सो में पत्ते उगाए...