बीते वक्त की सुगबुगाहट.....
रोते रोते गुजरी रातें,हर पल यह फरियाद लिए;
याद हमे उनकी बातें यह याद बदलनी चाहिए।
लगती दुनिया बदली-बदली,रुख़सत हो जाने के बाद;
थामें थे जो हाथ,अब साथ की हर शाम ढलनी चाहिए।
जिन लबों पर थीं फिसलती हुस्न...
याद हमे उनकी बातें यह याद बदलनी चाहिए।
लगती दुनिया बदली-बदली,रुख़सत हो जाने के बाद;
थामें थे जो हाथ,अब साथ की हर शाम ढलनी चाहिए।
जिन लबों पर थीं फिसलती हुस्न...