...

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वसुल ...
माना के गलती हुई थी हमसे ....
पर बेदर्द हम थे हि नही कभी ...

सिर्फ आपके बिछड जाने से डर से ..हमने ..
कुछ बाते छुपाई थी आपसे जरूर ..
क्यू की दिलसे प्यार जो किया था ..

पर उसका इलजाम धोका होगा कभी सोचा ही नही था हमने ...
हर रोज आपकी याद सताती है ..
हर रोज आपका दीदार होता है ..

शायद हमारे भूल की सजा इतनी बडी नही थी..
जो आपणे हमे दी है ..

एक बार बताते तो माफी भी मांग लेते ..पर .इतने बेदर्दीसे हमसे आप पेशाओगे सोचा ही नही था ...

अब कितनी भी कोशिश करू आप हमे समज नही पाओगे
शायद मुकद्दर का यही फैसला है ...

यही मानकर जिना ..की.जिंदगी का वसूल यही है ....

....✍️ Raj Thepane