अहसास
अहसास अपने होने का
नहीं रहा जबसे
उसने कदर करना छोड़ दिया
चलते चलते सफ़र में
बीच राह में छोड़ दिया
अब क्या गिला शिकवा करु उससे
जब उसने अपना मानना ही छोड़ दिया
नहीं रहा जबसे
उसने कदर करना छोड़ दिया
चलते चलते सफ़र में
बीच राह में छोड़ दिया
अब क्या गिला शिकवा करु उससे
जब उसने अपना मानना ही छोड़ दिया