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सुकून से सोए हुए।
बहुत दिन हो गया ,सुकून से सोए हुए
खुल के हंसे, दम भर रोए हुए
जिंदगी में अक्सर ऐसा भी मोड आता है
कहने को अपने होते हैं
मतलब का बस नाता है
कहीं कोई सुन ना ले ,
उन जज्बातों को ढोए हुए
बहुत दिन हो गया सुकून से सोए हुए
अब दिल में दबे हुए से
अरमान समझता है कौन
वस्तु समझते हैं लोग,
इंसान समझता है कौन
बहुत दिन हो गया
अपनों को मिले ,खोए हुए
बहुत दिन हो गया सुकून से सोए हुए।
© Gitanjali Kumari
खुल के हंसे, दम भर रोए हुए
जिंदगी में अक्सर ऐसा भी मोड आता है
कहने को अपने होते हैं
मतलब का बस नाता है
कहीं कोई सुन ना ले ,
उन जज्बातों को ढोए हुए
बहुत दिन हो गया सुकून से सोए हुए
अब दिल में दबे हुए से
अरमान समझता है कौन
वस्तु समझते हैं लोग,
इंसान समझता है कौन
बहुत दिन हो गया
अपनों को मिले ,खोए हुए
बहुत दिन हो गया सुकून से सोए हुए।
© Gitanjali Kumari
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