...

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मेरा गांव
# घरों के सामने शाम को लगने वाली महफ़िल जाने कहां खो गई।
वो हुक्के- चिलम भरते ताऊ भी तो नही दिखते
वो जो मेरी बढ़ी हुई beared देख के "बाबा बनेगा क्या?" टोकने वाले वो भी तो कम  ही दिखाई देते है
वो जो बचपन जो घर के सामने मिट्टी मैं खेलता था वो भी तो गायब हो गया है
और वो सर्द सुबह मैं अलाव (आग) के साथ
दुनिया भर की बाते वो भी तो गायब है
वो  गरम मूंगफली के साथ 5-4 लोग जो सर्द सुबह को साझा करते थे वो भी तो गायब है
और वो अपनापन भोलापन द्वेष -रहित जुड़ाव  वो भी तो गायब है
या तो मैं कही गुम हो गया या मेरा देखा हुआ वो गांव कहीं गुम हो गया
Harbinger of our doom,
Hurtling through space,
The asteroid is here too soon
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