मेरा गांव
# घरों के सामने शाम को लगने वाली महफ़िल जाने कहां खो गई।
वो हुक्के- चिलम भरते ताऊ भी तो नही दिखते
वो जो मेरी बढ़ी हुई beared देख के "बाबा बनेगा क्या?" टोकने वाले वो भी तो कम ही दिखाई देते है
वो जो बचपन जो घर के सामने मिट्टी मैं...
वो हुक्के- चिलम भरते ताऊ भी तो नही दिखते
वो जो मेरी बढ़ी हुई beared देख के "बाबा बनेगा क्या?" टोकने वाले वो भी तो कम ही दिखाई देते है
वो जो बचपन जो घर के सामने मिट्टी मैं...