...

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सत्य ही पहचान
बात अब नहीं रही कुछ पाने की
जिंदगी होती है अपनी जिम्मेदारियाँ सही से निभाने की
राह मे जो आये उसमें तपकर खुद को बनाने की
बहुत कर लिया झूठ से समझौता,न नही है हल
भाग लिया इस कायर प्रतिद्वंदता में भी मैने
हार गई अपना सब-कुछ चहेती बनने की होड़ में
सिर्फ इतना ही नहीं,ये तो बस दिखता है
गहराई नापी तो पाया बहुत अंधेरा बिखेरा है
मैं सिर्फ मैं नहीं,एक उम्मीद थी रोशनी की
ठण्डी छाव थी भरोसे की, वो दुनिया जिसकी मैं पहरेदार
मेरी लालसा ने कर दिया उसे बेजान
मैं सिर्फ मैं नहीं! मेरा जीवन ही है एक छिपा हुआ संसार ।

।।सत्य ही पहचान,सत्य ही सही मार्ग
खिलखिलाते जीवन का आधार ।।
© Filling lacuna