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दर्द
मैं ज़िंदगी की उस नाज़ुक मोड़ पर खड़ी हूं
जहा से रोज़ मेरे मन में एक ही ख्याल आता हैं
वजह क्या हैं मेरे जिंदगी की
मैं जी किसके लिए रही हूं
मैं किस ओर जा रही हूं
दर्द सहते सहते ज़िंदगी बोझ सा लगने लगी हे
कभी कभी इतना घुटन होता हैं मुझे
की मानों ऐसा लगता हैं जैसे मौत की ओर जा रही हूं मैं
सिवाई इसके कुछ और नज़र नहीं आता मुझे
© All Rights Reserved
जहा से रोज़ मेरे मन में एक ही ख्याल आता हैं
वजह क्या हैं मेरे जिंदगी की
मैं जी किसके लिए रही हूं
मैं किस ओर जा रही हूं
दर्द सहते सहते ज़िंदगी बोझ सा लगने लगी हे
कभी कभी इतना घुटन होता हैं मुझे
की मानों ऐसा लगता हैं जैसे मौत की ओर जा रही हूं मैं
सिवाई इसके कुछ और नज़र नहीं आता मुझे
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