सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
चलो यार, चलें कहीं दूर, जहाँ हो बस तुम और मैं, जहाँ न हो कोई और, बस हो बस हम, दो दिल एक जान।
सूरज ढल रहा है, आकाश रंग बदल रहा है, हवा थिरक रही है, और तुम, बस खोए हुए हो।
चलो यार, चलें कहीं दूर, जहाँ हो बस तुम और मैं, जहाँ न हो कोई...
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
चलो यार, चलें कहीं दूर, जहाँ हो बस तुम और मैं, जहाँ न हो कोई और, बस हो बस हम, दो दिल एक जान।
सूरज ढल रहा है, आकाश रंग बदल रहा है, हवा थिरक रही है, और तुम, बस खोए हुए हो।
चलो यार, चलें कहीं दूर, जहाँ हो बस तुम और मैं, जहाँ न हो कोई...