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मेरी एक ही तो साथी थी , वो भी तुम चुरा ले गई
मेरी एक ही तो साथी थी
वो भी तुम चुरा ले गई
तुमसे मिलने से पहले
अक्सर घंटों बातें होती थी
कमबख़्त,अब तुम्हारी यादों से ही फुरसत मिलती नहीं
मेरी एक ही तो साथी थी
वो भी तुम चुरा ले गई
पहले कानों मे आवाजें उसकी गूँजती थी
पर अब तुम्हारे अलावा इन श्रुतिपटो पर कंपन कोई दूसरी होती नहीं
मेरी एक ही तो साथी थी
वो भी तुम चुरा ले गई
पहले हर कोने मे दिख जाती थी
पर अब नज़रों से सूरत तुम्हारी हटती नहीं
मेरी एक ही तो साथी थी
वो भी तुम चुरा ले गई
मेरी तन्हाई को मुझसे ही
जुदा कर गई
©सञ्ज्ञारहित
@Writco @WriteIndia
#poem #secondpoem #Love #Romance #meraishq #WritcoAnthology
वो भी तुम चुरा ले गई
तुमसे मिलने से पहले
अक्सर घंटों बातें होती थी
कमबख़्त,अब तुम्हारी यादों से ही फुरसत मिलती नहीं
मेरी एक ही तो साथी थी
वो भी तुम चुरा ले गई
पहले कानों मे आवाजें उसकी गूँजती थी
पर अब तुम्हारे अलावा इन श्रुतिपटो पर कंपन कोई दूसरी होती नहीं
मेरी एक ही तो साथी थी
वो भी तुम चुरा ले गई
पहले हर कोने मे दिख जाती थी
पर अब नज़रों से सूरत तुम्हारी हटती नहीं
मेरी एक ही तो साथी थी
वो भी तुम चुरा ले गई
मेरी तन्हाई को मुझसे ही
जुदा कर गई
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