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अधूरा इश्क
बेअसर रही मेरी दुवाएं जो मांगी थी मैने रब से,
वो किसी और को बिन मांगे मिल गई।।
छलनी हो गया रूह मेरा उनके बिना,
सांसे हुआ करती थी जो मेरी,
अब कैसे होगा बिना उनके जीना।।
ख्वाहिश थी मेरी जिसको दुनिया बनाने की,
उनको जरा जल्दी थी किसी और की दुनिया सजाने की।।
© Vishwanagi
#vishwayari
#vishwanagi
वो किसी और को बिन मांगे मिल गई।।
छलनी हो गया रूह मेरा उनके बिना,
सांसे हुआ करती थी जो मेरी,
अब कैसे होगा बिना उनके जीना।।
ख्वाहिश थी मेरी जिसको दुनिया बनाने की,
उनको जरा जल्दी थी किसी और की दुनिया सजाने की।।
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