क्यों नहीं,,,?
कभी किसी ने कहा था,,
तुमने दुनिया नहीं देखी,,
तब मज़ाक लगी थी बाते उसकी,,
पर आज दिल कहता है कि,,
पूछूं उससे,,
उससे सवाल करूं,,की,,
की,,क्यों तुमने इस दुनिया को मुझे अपनी आंखों से नहीं दिखाया,,
क्यों वाक़िफ नहीं कराया की–
कैसी है ये दुनिया,,
बोलो न क्यों नहीं बताया,,?
क्यों नहीं बताया कि,,,
यहां सब वहशी दरिंदे है,,
यहां लड़कियां तो बस्ती है,,
मगर वो एक खिलौना भर है केवल,,
गुड़िया–गुड़िया कहते थे,,
मै भी खिलौने...
तुमने दुनिया नहीं देखी,,
तब मज़ाक लगी थी बाते उसकी,,
पर आज दिल कहता है कि,,
पूछूं उससे,,
उससे सवाल करूं,,की,,
की,,क्यों तुमने इस दुनिया को मुझे अपनी आंखों से नहीं दिखाया,,
क्यों वाक़िफ नहीं कराया की–
कैसी है ये दुनिया,,
बोलो न क्यों नहीं बताया,,?
क्यों नहीं बताया कि,,,
यहां सब वहशी दरिंदे है,,
यहां लड़कियां तो बस्ती है,,
मगर वो एक खिलौना भर है केवल,,
गुड़िया–गुड़िया कहते थे,,
मै भी खिलौने...