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तुम
मुझे तुमसे ज्यादा किसी से प्यार नहीं
तुम्हारे सिवाय किसी का इन्तजार भी नहीं
बीन तुम्हारे मेरी हालत बुरी है बहुत बुरी
शायद इसका तुझे कभी होगा आभास भी नहीं
जगकर बिता दी है हमने कितनी रातें अपनी
एक भी रात जो बीन तुम्हारे गुज़रे ऐसी कोई रात नहीं
बातें तो बहुत है अंदर मेरे करने को तुमसे
पर होती कभी एक-दूसरे से मुलाक़ात नहीं
कितना बेचैन,कितना उदास मैं रहता तुम्हारे बग़ैर
मिलों तो शायद समझो तुम बीन अच्छे हालात नहीं
तुम्हारे सिवाय किसी का इन्तजार भी नहीं
बीन तुम्हारे मेरी हालत बुरी है बहुत बुरी
शायद इसका तुझे कभी होगा आभास भी नहीं
जगकर बिता दी है हमने कितनी रातें अपनी
एक भी रात जो बीन तुम्हारे गुज़रे ऐसी कोई रात नहीं
बातें तो बहुत है अंदर मेरे करने को तुमसे
पर होती कभी एक-दूसरे से मुलाक़ात नहीं
कितना बेचैन,कितना उदास मैं रहता तुम्हारे बग़ैर
मिलों तो शायद समझो तुम बीन अच्छे हालात नहीं
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