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निगाह
ये जो तुम निगाहों से अपनी बात करते हो,
सच कहूँ तो दिल का चैन मेरा लूट लेते हो।
ये जो तुम्हारी खामोशी है, खूब बोला करती है,
निगाहों से तुम्हारी चोरी पकड़ी जाती है अक्सर।
मुझे ये तुम्हारी ख़ामोशी भी खूब भाती है,
कि तुम्हारी ख़ामोशी भी मुझ से मोहब्बत का इज़हार किया करती है।
तुम्हारी निगाहों में कुछ तो है ऐसा,
अक्सर दिल मेरा खिंचता है तुम्हारी तरफ।
तुम्हारी ख़ामोशी अब चुभती नहीं है मुझे,
तुम्हारी निगाहें जो अक्सर मुंतज़िर रहा करती हैं मेरी।
Faza Saaz
#saaz
© Saaz
सच कहूँ तो दिल का चैन मेरा लूट लेते हो।
ये जो तुम्हारी खामोशी है, खूब बोला करती है,
निगाहों से तुम्हारी चोरी पकड़ी जाती है अक्सर।
मुझे ये तुम्हारी ख़ामोशी भी खूब भाती है,
कि तुम्हारी ख़ामोशी भी मुझ से मोहब्बत का इज़हार किया करती है।
तुम्हारी निगाहों में कुछ तो है ऐसा,
अक्सर दिल मेरा खिंचता है तुम्हारी तरफ।
तुम्हारी ख़ामोशी अब चुभती नहीं है मुझे,
तुम्हारी निगाहें जो अक्सर मुंतज़िर रहा करती हैं मेरी।
Faza Saaz
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