...

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तुम्हें हम जान ना सके
तुम्हें हम जान ना सके
सिसकियां पहचान ना सके,
डूबती नाव को निकाल ना सके
तैरते सपनों को भी संवार ना सके,

कलियों की कोमलता जांच ना सके
मासूमियत की चंचलता मान ना सके,
प्रश्न की गंभीरता भाप ना सके
भावों की तीव्रता को नाप ना सके,

तुम्हारी यादों से पीछा छुड़ा ना सके
फिर भी तुम्हें हम जान ना सके।
© Unsung Melody✌️