दिल का मर्म
तुम ज़्यादा बोलते नहीं
पर मैं जानती हूं कि
तुम सुनते सब हो
तुम अपनी प्यारी सी मुस्कान के पीछे अपने दर्द छुपा लेते हो....
पर मुझे पता है कि
अकेले में तुम्हारी आंखे
अक्सर उन दर्द भरी यादों से
भीगी रहती हैं...
दूसरों के जख्मों को भरते भरते
तुम्हारा हृदय कठोर हो गया है...
पर एक मासूम सा बच्चा...
पर मैं जानती हूं कि
तुम सुनते सब हो
तुम अपनी प्यारी सी मुस्कान के पीछे अपने दर्द छुपा लेते हो....
पर मुझे पता है कि
अकेले में तुम्हारी आंखे
अक्सर उन दर्द भरी यादों से
भीगी रहती हैं...
दूसरों के जख्मों को भरते भरते
तुम्हारा हृदय कठोर हो गया है...
पर एक मासूम सा बच्चा...