Rape
वो चीख रही थी चिल्ला रही थी,
खुद से अपनी नजरे चुरा रही थी,
ना जाने कौन थे वो...
जिसके सामने वो इतना गिड़गिड़ा रही थी ।
दरिन्दे थे वो जिस्म के भिखारी,
नहीं सुन रहे थे वो उसकी लाचारी,
ना जाने कौनसे था वो समाज...
जो बस कह देता है उससे बिचारी ।
मोमबत्ती की रौशनी से न्याय नै मिलता,...
खुद से अपनी नजरे चुरा रही थी,
ना जाने कौन थे वो...
जिसके सामने वो इतना गिड़गिड़ा रही थी ।
दरिन्दे थे वो जिस्म के भिखारी,
नहीं सुन रहे थे वो उसकी लाचारी,
ना जाने कौनसे था वो समाज...
जो बस कह देता है उससे बिचारी ।
मोमबत्ती की रौशनी से न्याय नै मिलता,...