...

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besabar mere jazbaat!
तुज़मे कुछ तो है बात,,,,,,
वरना यूंही न ढहती मेरे जज़्बात की दीवार ।

साधी सरल अविचल जिंदगी मेरी,,,
तू उसमें जिलेबी सी गोलाकार,,,
तरल विरल शांत सा चेहरा मेरा,,,
तू उसमें मुस्कान की बहार,,,,,

तुज़मे कुछ तो है बात,,,,,,
वरना यूंही न ढहती मेरे जज़्बात की दीवार ।

तुम हवा सी चंचल चितवन ,,,,,
मैं लहरों में नैय्या बीन पतवार,,,,,
तुम सुधा फूलों की ,,,,
मैं सावन की मदमस्त फुहार,,,,,,

तुज़मे कुछ तो है बात,,,,,,
वरना यूंही न होते बेसबर मेरे जज़्बात।