...

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एक पैग़ाम
मुद्दत बाद उसने एक
पैग़ाम भेजा ,
लिखकर कैसी हो मेरी
जान भेजा ,
भूल गई क्या प्यार अपना ,
या मोहब्बत से
किनारा कर लिया ,
मेरे बिना कैसे तुमने
गुजारा कर लिया ,
हम न मिले फिर भी..
तुम जी रहे हो ,
छुपाकर अश्क़ ऑखों में ..
दर्द भरा ज़ाम पी रहे हो ,
चलो न आज फिर एक..
कसम खाते हैं ,
एक दूजे के बिना ज़िंदगी
हँस के बिताते हैं ,
ग़म को भुलाकर खुशियों में
डूब जाते है ,
इतनी ज़रूरी भी नहीं मोहब्बत
ये सबको बताते है । S.S.
Sarita Saini
स्वरचित

© Lafz_e_sarita