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बरगद का वृक्ष
उस बरगद के.
वृक्ष से मेरा
अगाध प्रेम था
बचपन से ही
क्योंकि इसी ने मुझे धूप से
बचने के लिए
े मुझे शीतल छाँव दीं
इसी पर रस्सी के झूले बना कर. मैंने झूलने क़ा आनन्द लिया था
लेकिन आज उसकी
सूखी हुई तहनिया और
गायब हो चुके पत्तों
को देख कर उसकी ये दुर्दशा देख कर मैं रों पड़ा
वृक्ष से मेरा
अगाध प्रेम था
बचपन से ही
क्योंकि इसी ने मुझे धूप से
बचने के लिए
े मुझे शीतल छाँव दीं
इसी पर रस्सी के झूले बना कर. मैंने झूलने क़ा आनन्द लिया था
लेकिन आज उसकी
सूखी हुई तहनिया और
गायब हो चुके पत्तों
को देख कर उसकी ये दुर्दशा देख कर मैं रों पड़ा
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