...

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Nagmaye Prem
तेरे इस मुखड़े को मैं , चौदहवी का चाँद लिखू , तेरे होठो की लाली को मैं , सूर्ख लाल गुलाब लिखू !
तेरे इन काले जुल्फो को मैं , बलखाती नागिन की नाच लिखू , तेरे इस चंचल चित्वन को मैं , मद मस्त हिरनी की चाल लिखू !!
तेरे माथे की बिदिया को मैं , कोहीनूर का भाग लिखू , तेरे होठो के दो प्यालो को ,मैं माधुशाला का जाम लिखू !!!
तेरे इस कंचन काया को मैं , टुकडा हो तुम चाँद लिखू , तेरे इस रूँझुन पायल को मैं , सरगम के सुर सात लिखू !!!!
तेरे बाहो की मोहकता को मैं , हो खुशबू बेला की हाजार लिखू ,
है ख्वाइस बस इतनी सी , खुद को मैं तेरे गले का हार लिखू !!!!!
क्या आदि लिखू क्या अन्त लिखू , तेरे हुस्न की मादकता को मैं जब भी लिखू बस इतना ही लिखू , हर जन्म मे तेरा साथ लिखू !!!!!!
अब बचा नही कुछ लिखने को , थक हारे हम लिख लिख कर पर जब भी लिखू मैं तुझे प्रिये , अधियारो से लड़ता तुझ को , जलता दीप हाजार लिखू !!!!!!!