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अंजना प्यार सही होता है।
नहीं जानती थी प्यार कैसे होता है
इन दुरियों में निभाना कैसे होता है।
घर गृहस्थी भी हमें बसना होता है,
जाना दिल यार का दीवाना होता है।
गुस्सा था ऐसे यार को क्यों चाहना है
इश्क़ में दिल का जीना मरना होता है।
जिस बात का डर था वही गुनाह हुआ,
दीवाने की सिफारिश में झुकना होता है।
फिर कुछ भी हुआ अपने आप होता गया
देखा हमने क़यामत को भी हारना होता है।
भूल को भुलाकर चाहते रखी सच्ची जो
मिला हमें दोस्त का प्यार खुदा होता है।
© Sunita barnwal
इन दुरियों में निभाना कैसे होता है।
घर गृहस्थी भी हमें बसना होता है,
जाना दिल यार का दीवाना होता है।
गुस्सा था ऐसे यार को क्यों चाहना है
इश्क़ में दिल का जीना मरना होता है।
जिस बात का डर था वही गुनाह हुआ,
दीवाने की सिफारिश में झुकना होता है।
फिर कुछ भी हुआ अपने आप होता गया
देखा हमने क़यामत को भी हारना होता है।
भूल को भुलाकर चाहते रखी सच्ची जो
मिला हमें दोस्त का प्यार खुदा होता है।
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