...

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बचपन 🙃🙃❣️❣️
काश ! संभव होता जाना,🙂
फिर अपने बचपन में,❣️
काश! फिर नये सपने,
संजोये जाते मन में,🙂

सुबह -सुबह उठते ही,
जल्दी से नहाना,🙂
पापा की गाड़ी पर,
बैठ के स्कूल जाना,🙂

देर से पहुँचने पर,
डंडे खाना,😟
वो पेट दर्द वाला,
मासूम सा बहाना,🥺🥺

वो गणित के अजीब से फंडे,😀
होमवर्क न करने पर,
पड़ने वाले डंडे,🤕🤕

शुरू के चार पीरियड में,
मार पड़ी तो रेस्ट में उदास होना,😟😟
कभी कभी
हल्का हल्का सा रोना,😥😥

उस उदासी पर अचानक पानी फिरना,
मम्मी को टिफिन लाते देख,😃
फिर चेहरे का खिलना,🙂😀

रेस्ट के बाद से ही ,
छुट्टी का इंतजार,🙇🙇🙇
और मजे ही आ जाते थे,
जो अगले दिन हो रविवार,🙂😀

शाम को 4 बजते ही मैदान पर जाना,🙂
खेलने के चक्कर में घर पर डांट खाना,🥺

वो दीवाली की छुट्टी में मिलने वाला काम,🥴🥴
कोशिश होती कि छुट्टी से पहले ही हो जाये तमाम,☹️

वो परीक्षाओं में कोर्स को जल्दी जल्दी पढ़ना,😵‍💫😵‍💫
सालभर आलसी होते भी सुबह जल्दी जगना,🙂

वो result का सताने वाला डर,🙂
औसत हो या अच्छा हर रिजल्ट को सेलेब्रेट करता घर,😀😀

वो दादाजी के साथ सुबह सैर पर जाना,🙂🌳🌳🌳
और दादी के साथ ताश की बाजी लगाना,🙂🙂

हो सके भगवान जी तो,❣️
एक दिन के लिए लौटा दो बचपन,🙋🙋🙋
तरह तरह के अवसादों से,
क्षुब्ध है जीवन 🙃🙃🙃

© सौ₹भmathu₹