...

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मन

जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,
बिना मर्जी के पत्ता तक न हिलने दिया ,
जो था खास उसे न जाने दिया ,
मनाने मे आया पसीना आने दिया ,
यूं एक वक्त तक मे मनाता रहा ,
उनके आगे पीछे जाता रहा ,
की हर एक कोशिश उन्हें मनाने की ,
क्या जरूरत थी उन्हे जाने की ,
जब नही मंशा थी आने की ,
क्या जरूरत थी मुस्कराने की,
उनके बारे में अब पता लगा ,
वो किसी और की अब है भला ।
© Sumit Kumar