मेरे वजूद की चमक
मिट्टी का पुतला हूँ मैं,
ईश्वर ने मुझे सँवारा है,
साल दर साल चमचमाती मिट्टी से मेरा अक्स उभारा है।
बहुत बीता कुछ बच गया ये साल है,
सोचती हूँ इस साल का लेखा-जोखा भी कितना कमाल है।
हर नए साल क मनसूबा नया बनाती हूँ,
फिर पूरा साल उस पर मेहनत कर,
अपना वजूद निखारती हूँ।
इस साल इरादा...
ईश्वर ने मुझे सँवारा है,
साल दर साल चमचमाती मिट्टी से मेरा अक्स उभारा है।
बहुत बीता कुछ बच गया ये साल है,
सोचती हूँ इस साल का लेखा-जोखा भी कितना कमाल है।
हर नए साल क मनसूबा नया बनाती हूँ,
फिर पूरा साल उस पर मेहनत कर,
अपना वजूद निखारती हूँ।
इस साल इरादा...