...

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धूल
#धुल

शुर धुल से घुले मिले हैं
तभी तो रण में डटे पड़े हैं।
हुंकारों से शत्रु घीघ बने पड़े है
"इसलिए अब समझौता बने पड़े है।

धुल और धरा, एक साथ गूंथे,
प्रेम की गाथा, हम सबको सुनाएं।
धरती पर हर पल अद्वितीय जीवन,
बच्चों के हंसने-हँसाने की मिसाल दे।

बारिश की बूँदों से, फसलों की मुस्कान,
हरियाली से भरी, खुशियों की वनस्पति।
सूखे की कर्मण्‍य को छूकर गुज़र,
मनुष्‍य अपने जीवन को देखकर है चमकी।

धुल से धुल मिलकर हमने यह देखा,
हर कदम पर एक नई कहानी लिखा।
समस्‍त जीवन की राहें, धुल से बुनी,
हम सभी को इसका सबक सिखाई, यह कहानी।
© Abhay Dhakate