...

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अगर पूछों तो बताऊँ।
अगर पुछो तो बताऊं,
कितनी चाहत है जताऊँ।
जिस मुस्कान की घंटो इन्तजार करता,
उसे एक नज़रो मे सहेज भी ना पाऊं।
मिलने की हसरत चलो बयां कर भी दूँ,
फिर बिछडने का दर्द किसे सुनाऊँ।
समझ जाते हो मेरे हर अल्फाज़ ,
फिर दिल की बेचैनी तुझसे कैसे छुपाऊँ।
तुम ही बताओ , जब है मुहबत तुझसे,
तो जरुरी है इस दुनिया को प्रमाण दिखाऊँ।
अगर पुछो तो बताऊँ,
कितनी चाहत है जताऊँ।


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