...

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तुम रंग हो कान्हा❤️❤️❣️❣️❣️❣️❣️
बेरंग सी है ये जिंदगी मेरी,
सतरंगी करने वाले, तुम रंग हो कान्हा,❤️❤️

सारी दुनिया ठुकरा चुकी है मुझे,
मैं जी रहा हूँ जब तक, तुम संग हो कान्हा,❤️❤️

जर्जर मकान की छत की तरह गिर जाता मैं,
किंचित अवशेष रुपी शेष ,तुम उमंग हो कान्हा,❤️❤️

राग विराग ,आसक्ति विरक्ति ,माया की घनी छाया में,
मुझमें अविरल व्याप्त, तुम जंग हो कान्हा,❤️❤️

परमपिता,परमेश्वर,भगवान नहीं माना तुम्हें मैंने,
फिर भी लगता है जीवन के, तुम अभिन्न अंग हो कान्हा ❤️❤️

© सौ₹भmathu₹