सुर्ख़ गुलाब 🌹
स्वरचित रचना :- सुर्ख़ गुलाब 🌹
किसी पुरानी किताब में मिला ये
सुर्ख़ गुलाब,
किसी आँगन की बगिया में खिला
ये सुर्ख़ गुलाब।
कितना दर्द सहता है ये सुर्ख़ गुलाब
होकर अपनों से जुदा
बावफा सा रहता है ये सुर्ख़ गुलाब।
खुद...
किसी पुरानी किताब में मिला ये
सुर्ख़ गुलाब,
किसी आँगन की बगिया में खिला
ये सुर्ख़ गुलाब।
कितना दर्द सहता है ये सुर्ख़ गुलाब
होकर अपनों से जुदा
बावफा सा रहता है ये सुर्ख़ गुलाब।
खुद...