...

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जश्न ए आज़ादी
नग़मा ए उल्फत सुनाने आ गए
दुश्मनों का दिल जलाने आ गए

ज़िन्दगी की कैद से कह दो की हम
यौम ए आज़ादी मनाने आ गए

आँच आएगी ना हिंदुस्तान पर
तीर हम सीने पे खाने आ गए

लेके हाथों में तिरंगा आज हम
आसमानों को झुकाने आ गए

मुल्क से थोड़ा सा ग़ाफ़िल क्या हुए
लोग तो हम को मिटाने आ गए

यौम ए आज़ादी नहीं, दर असल ये
अम्न ओ उल्फत के ज़माने आ गए

मुल्क की इज़्ज़त की खातिर कुछ जवान
सरहदों पर जां लुटाने आ गए
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