...

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वो यादगार पल
धुंधली यादों के गलियारे में,मन खोया है एक वीराने में
बीते हुए पलों की तलाश में, बैठी हूँ सोच एक किनारे पे

हँसी-ठहाके, खुशियाँ अनेक, दोस्तों के संग वो मस्ती में
बूंद-बूंद करके इकट्ठा किए, वे यादें हैं जब्त दिल गुल्लक में

परिवार का प्यार, दुलार भरा, माँ की गोद में सोते सुकून से
पिता के कंधे का सहारा,भाई-बहन के मधुर तालमेल से

पहली प्यार की वो धड़कन, शरमाते हुए कपोल लालिमा से
पहली बार जो पकड़ा था हाथ, तरंगित स्पर्श में डूबे हुए से

हर पल एक कहानी कहता है, खुशी, गम, हार और जीत से
यादों का यह संग्रह,जीवन का है सार सच्चा, संजोया दिल से

जब भी होती हूँ मैं, उदास , झाँकती हूँ यादों के झरोखे से
फिर हँसने लगती हूँ, बुनती हूँ सुनहरे सपने नई उम्मीद से

यादें हैं मेरे जीवन की, जिनकी कीमत है अनमोल हीरे सी
ऋत्विज़ा संजोकर रखेगी, पूर्ण संचित पूंजी ,पुण्य कर्मो सी

© ऋत्विजा