अशुद्ध लक्ष्य
जब लक्ष्य तेरा है एक नहीं,
जब लक्ष्य तेरा कोई शुद्ध नहीं,
तो प्राप्त कहां से होगा बंदे,
चाहे तू हिम को चढ़ना,
मगर कदम एक बढ़ा न पाए,
कर्म नहीं तू करना चाहे,
दर-दर भटकता करता फरियाद,
मन तेरा है चंचल इतना,
एक जगह तो...
जब लक्ष्य तेरा कोई शुद्ध नहीं,
तो प्राप्त कहां से होगा बंदे,
चाहे तू हिम को चढ़ना,
मगर कदम एक बढ़ा न पाए,
कर्म नहीं तू करना चाहे,
दर-दर भटकता करता फरियाद,
मन तेरा है चंचल इतना,
एक जगह तो...