...

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#सड़क के बाद#
दूर कहीं सूखी डाली पे लगा सुर्ख फूल
गर्म रेत में जहां तहां चुभते सूखे शूल
मुझे तेरे घर का सारा ही रास्ता याद है
है तलाब बाग पर घर सड़क के बाद है।

रोशन तारे धूमिल पगडंडी चमकती कांश
गायों के जाते झुंड तेरे मिलने की आश
अंगीठी की गर्माहट पैरों की आहट याद है
है तलाब बाग पर घर सड़क के बाद है।।