जिंदगी
हजारों रास्ते देखे, हजारों मंजिलें देखी,
राह जो आसान बताई थी उन्हीं पर मुश्किलें देखी,
चले थे हम भी बेपरवाह, शराफत की डगर यारों,
मंजिल तलक जब पहुंचे, शरीफों की बेबसी देखी,
सच्चाई दर दर भटकती है, मक्कारी मुस्कुराती है,
न्याय की आस में हमने लगती...
राह जो आसान बताई थी उन्हीं पर मुश्किलें देखी,
चले थे हम भी बेपरवाह, शराफत की डगर यारों,
मंजिल तलक जब पहुंचे, शरीफों की बेबसी देखी,
सच्चाई दर दर भटकती है, मक्कारी मुस्कुराती है,
न्याय की आस में हमने लगती...