...

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कुछ नहीं है, सब कुछ यही है
"कुछ नहीं है, सब कुछ यही है,
रोग में दुनिया दबी है।
होश में आने से पहले,
राहतें सब सो चुकी हैं।

कुछ ज़िद्द पाने के वास्ते,
दुनिया सारी लड़ रही है।
आस में, एहसास में,
खो चुके सब जज़्बात में।

कुछ नहीं है, सब कुछ यही है।"
© manasakshar
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