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मध्यप्रदेश
नमस्कार ......!
मैं किरण कुमावत जयपुर वाली आज का गीत है मेरा मध्य प्रदेश वासियों के लिए ,अभी कुछ दिन पहले मैं मध्य प्रदेश के बीना शहर किसी गाँव में गई थी वहां के लोगों ने बहुत अच्छी खातिरदारी करी और एक भैया तो सवाई माधोपुर ( राज.) ही मिल गए थे भोपाल के रहने वाले उन्होंने भी गंतव्य स्थान पर पहुंचने के लिए काफी मदद की तो एक छोटा सा गीत तो बनता है उनकी तारीफ में ।



मीठी बोली रस की खान
मनुवारा में देवे अपणी जान
घणो करे सम्मान
काई बताऊं री पहचान
लाग्यो नहीं मनैं अनजान
जय्या है म्हारों राजस्थान

घणा सोवणा मिनख अठै रा , घणी सोवणी माटी
जीमण तई पुरस्या म्हानैं दाळ चूरमो बाटी
ओ किण - किण रो करू म्हँ बखान
म्हारो भटक्यों जावै ध्यान
नखरों बड़ो महान
जय्या है म्हारों राजस्थान

छत दिवारा काच्ची देखी पण मित देखी पाक्की
कुआँ पर पिणिहारी देखी ज्यों होड़ करे थी म्हाकी
ओ टाबरिया का चेहरा की मुस्कान
करावे थी अमृत को पान
खेल तमाशा री वा तान
जय्या है म्हारों राजस्थान

संध्या की बेला पर खुब सजे थी बावड़ी
देख नजारों अनुपम धरा रो , कय्या केद्यू ना आवडी
रुख गावै छा जी गुणगान
बिखेरा छा अपनी शान
भूल ना पाऊं देख म्हँ जान
जय्या हैं म्हारो राजस्थान