हद-ए-तन्हाई
रूह ज़ख्मी है आगे चिलमन लगाए रखिये,
दिलों में जरा तुम रूहानियत बनाए रखिये।
इन होंटो की प्यास नही जाम होंटो का तुम,
फ़क़त निस्बत बनाईये और बनाए रखिये।
ये शब-ए-रातें हैं ये कभी ओझल नही होतीं,
उसकी यादों को "मय" से बहकाये रखिये।
दर्द को पैरहन...
दिलों में जरा तुम रूहानियत बनाए रखिये।
इन होंटो की प्यास नही जाम होंटो का तुम,
फ़क़त निस्बत बनाईये और बनाए रखिये।
ये शब-ए-रातें हैं ये कभी ओझल नही होतीं,
उसकी यादों को "मय" से बहकाये रखिये।
दर्द को पैरहन...