...

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शायरी...
सोचा था दिल की कलम सें
​मोहब्बत के अफसाने लिखेंगें...
​लेकीन दिल तो बच्चा हैं ना
​उसे पता ही नहीं कीं अब तक..
​वो सियाहीं बनीं हीं नहीं जिससें
​मोहब्बत के फसानें मुकम्मल होते हैं..

​ शोभा मानवटकर...