...

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नजर आए
जो बंद की आंखे तो कुछ ख्वाब नजर आए
अपनो के बदलते चेहरे हर बार नजर आए
जख्मी सा दिल ले कर तन्हा बैठे रहे हम
जब भी देखा खुदको बेकार नजर आए
दूध सा सफेद दिखा सबको दामन खुद का
बस दूसरे के हिस्से में दाग नजर आए
नियत के खोट किसी को अपने पता ना लगे
लोग सुधारते दूसरे का किरदार नजर आए
पड़ोसी के घर में चूल्हा कब से जला नही
लेकिन उसकी बेटी का घर से आना जाना लगातार नजर आए
तुम भी कौन से दूध के धुले हो अंशु
तुम भीनजरे चुराते क्या खूब नजर आए
© Anshu